-छठ पर्व संध्या अध्र्य की परमार्थ निकेतन से शुभकामनायें
-विदेशी साधकों ने भी जाना छठ पर्व का महत्व
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन परिवार की ओर से सभी श्रद्धालुओं वृतियों को छठ पर्व संध्या अघ्र्य की हार्दिक शुभकामनाएँ! यह पावन पर्व सूर्यदेव और माँ प्रकृति के प्रति कृतज्ञता का अद्भुत प्रतीक है। जब भक्त जल में खड़े होकर अस्त होते सूर्य को अघ्र्य अर्पित करते हैं, तो यह केवल पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ एक जीवंत संवाद होता है। यह भगवान सूर्य के प्रकाश, जल की पवित्रता और वायु की ऊर्जा को नमन करने का सुंदर अवसर। छठ केवल व्रत नहीं, बल्कि संयम, शुचिता और समर्पण की साधना है।
परमार्थ निकेतन में विश्व के अनेक देशों से आये विदेशी पर्यटकों ने छठ महापर्व के आध्यात्मिक और पर्यावरणीय महत्व के बारे में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के साथ सत्संग के माध्यम से जानकारी प्राप्त की।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा कि छठ केवल एक पर्व नहीं, यह प्रकृति, पंचतत्व और परमात्मा के प्रति कृतज्ञता की सुन्दर अभिव्यक्ति है। जो याद दिलाता है कि सूर्य केवल प्रकाश का स्रोत नहीं, बल्कि जीवन का आधार हैं। जब भक्त जल में खड़े होकर सूर्य को नमन करते हैं, ता प्रकृति व पंचतत्वों के साथ सीधे संवाद कर रहे होते हैं, धन्यवाद दे रहे होते हैं कि हमें जीवन दिया, अन्न दिया, ऊर्जा दी।
स्वामी जी ने बताया कि छठ पर्व भारत की उस सनातन चेतना का जीवंत उदाहरण है जहाँ मनुष्य प्रकृति से जुड़कर ही ईश्वर की अनुभूति करता है। आज जब दुनिया पर्यावरण संकट से जूझ रही है, तब छठ का संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है, सूर्य, जल, वायु, भूमि और आकाश का सम्मान ही पृथ्वी के अस्तित्व की सुरक्षा है।
स्वामी जी ने कहा कि छठ का सच्चा अर्थ केवल उपवास या नियम नहीं, बल्कि “उपासना” अर्थात् अपने भीतर के सूर्य को जगाना है। जब हम बाहरी सूर्य को प्रणाम करते हैं, तब भीतर का अंधकार भी मिटता है। यह पर्व हमें संयम, शुचिता, और समर्पण सिखाता है।
साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि आज विश्व को सबसे अधिक आवश्यकता है सस्टेनेबिलिटी विद स्पिरिचुअलिटी की, ऐसा जीवन जो प्रकृति से प्रेम करे और उसे उपभोग की वस्तु नहीं, बल्कि माता के रूप में देखे। छठ पूजा प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और संरक्षण का उत्सव है।
जर्मनी से आई मारिया ने कहा, यह अद्भुत है कि यहाँ लोग प्रकृति को ईश्वर के रूप में पूजते हैं। जब सब मिलकर सूर्य को प्रणाम करते हैं, तो लगता है जैसे समूची सृष्टि एक साथ प्रार्थना कर रही हो।
अमेरिका से आए डेविड ने कहा, हमने बहुत से धार्मिक उत्सव देखे, पर ऐसा पर्व नहीं जहाँ जल, वायु और प्रकाश के प्रति इतनी गहरी कृतज्ञता हो। यह पर्यावरण और आध्यात्मिकता दोनों का अनोखा संगम है।”
परमार्थ निकेतन में आज छठ पर्व संध्या अध्र्य के अवसर पर आयोजित सांध्यकालीन गंगा आरती में देश-विदेश से आये भक्तों ने दीप प्रज्ज्वलित कर एकता, शांति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया।
इस अवसर पर विश्व के देशों से आये स्माल्को केसेनिया, सोकोलोवा एकातेरिना, पोपोविच तातियाना, इवान्युक मार्गरिता, कुर्जेनकोवा एकातेरिना, पांतेलीएवा ओल्गा, पोपोव तात्याना, कामारोउस्काया एलेना, ग्लादिशेवा इरीना, नागोवित्सिना इरीना, तातियाना मराहोव्सकाया और अन्य देशी विदेशी साधक उपस्थित रहे।
