*79वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं*
*परमार्थ निकेतन में भारत का गौरव तिरंगा फहराया*
*परमार्थ विद्या मन्दिर, चन्देश्वर नगर में ध्वजारोहण कर किया शहीदों को नमन*
*परमार्थ निकेतन गुरूकुल के ऋषिकुमारों और परमार्थ विद्या मंदिर के छात्रों ने देशभक्ति से ओतप्रोत रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को किया मंत्रमुग्ध*
ऋषिकेश, 15 अगस्त। आज हम सभी भारतीय अपने महान राष्ट्र की 79वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ मना रहे हैं। यह दिन उन अनगिनत वीर बलिदानियों के अदम्य साहस, संघर्ष और त्याग का प्रतीक है जिन्होंने हमें स्वतंत्र भारत का वरदान दिया। इस पावन अवसर पर हम समस्त भारतवासियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं और अपने वीर शहीदों को शत-शत नमन करते हैं।
आज हम स्वतंत्र भारत के 79वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। यह केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक भाव, एक संकल्प, एक गौरवगाथा है। यह वह दिन है जब हम अपनी 78 वर्षों की यात्रा को श्रद्धा और गर्व के साथ स्मरण करते हैं। यह यात्रा हमें याद दिलाती है कि भारत की असली शक्ति केवल उसकी सीमाओं, सेनाओं या संसाधनों में नहीं, बल्कि उसकी विविधता, संस्कृति और मानवता में निहित है।
हमारा भारत एक ऐसा देश है जहाँ सैकड़ों भाषाएँ, असंख्य बोलियाँ, विविध परंपराएँ और अनेक आस्थाएँ एक ही राष्ट्र की आत्मा में रची-बसी हैं। यही विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है। जब भी चुनौतियाँ आईं, चाहे वह विदेशी आक्रमण हों, विभाजन का दर्द, प्राकृतिक आपदाएँ, या सामाजिक-आर्थिक संकट, हमारी यह विविधता और एकता ही रही जिसने हमें टूटने नहीं दिया, बल्कि और सशक्त किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने प्यारे देशवासियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि हमारी आज़ादी के 78 वर्षों की यह गाथा केवल इतिहास की किताबों में दर्ज घटनाओं की सूची नहीं है। यह उन किसानों के पसीने की कहानी है जिन्होंने अनाज से देश को आत्मनिर्भर बनाया, यह उन वैज्ञानिकों के स्वप्न की कहानी है जिन्होंने अंतरिक्ष में भारत का परचम लहरायाय यह उन शिक्षकों के प्रयास की कहानी है जिन्होंने पीढ़ियों को ज्ञान और संस्कार दिए, यह उन सैनिकों की वीरगाथा है जिन्होंने सरहद पर अपने प्राण न्योछावर कर दिए और यह उन सामान्य नागरिकों की कहानी है जिन्होंने ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाया और राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया।
स्वामी जी ने कहा कि स्वतंत्रता का मतलब केवल पराई सत्ता से मुक्ति नहीं, बल्कि अपने भीतर की संकीर्णताओं और अज्ञानता से भी मुक्ति है। हमने विज्ञान, तकनीक, शिक्षा, चिकित्सा, खेल, कला और संस्कृति हर क्षेत्र में उपलब्धियाँ हासिल की हैं। आज भारत न केवल दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है, बल्कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में आशा और प्रेरणा का प्रतीक है। मेड इन इंडिया केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक वास्तविकता है। चंद्रयान और गगनयान से लेकर डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप क्रांति तक, हमने साबित किया है कि संसाधनों की कमी भी संकल्प के सामने हार जाती है लेकिन, साथ ही हमें यह भी स्वीकार करना होगा कि चुनौतियाँ अब भी मौजूद हैं। गरीबी, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य की असमान पहुँच, पर्यावरणीय संकट, और सामाजिक विभाजन जैसे मुद्दे आज भी हमारे सामने हैं। इन चुनौतियों से निपटना हम सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है। जिस तरह स्वतंत्रता के लिए हमारे पूर्वजों ने व्यक्तिगत स्वार्थ से ऊपर उठकर बलिदान दिए, उसी तरह आज हमें भी राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानकर काम करना होगा।
इस स्वतंत्रता दिवस पर हम संकल्प ले कि हम अपने देश को केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, नैतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी सशक्त बनाएँगे। हमें अपनी प्राचीन विरासत, योग, आयुर्वेद, वेदांत और अहिंसा जैसे मूल्यों को आधुनिक विज्ञान और तकनीक के साथ जोड़कर आगे बढ़ना है। हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विकास का लाभ हर व्यक्ति तक पहुँचे।
हमारी भावी पीढ़ियाँ हमसे यह अपेक्षा करती हैं कि हम उन्हें एक ऐसा भारत दें जो न केवल शक्तिशाली और समृद्ध हो, बल्कि न्यायपूर्ण, समावेशी और सतत विकास के पथ पर अग्रसर हो। हमें ऐसा भारत बनाना है जहाँ हर बच्चा शिक्षा पा सके, हर युवा को अवसर मिले, हर बेटी सुरक्षित और सम्मानित महसूस करेे, और हर नागरिक को समान अधिकार और गरिमा मिले।
इस यात्रा में हमें अपनी राष्ट्रीय एकता को और मजबूत करना होगा। हमें यह याद रखना होगा कि हम भले ही अलग-अलग भाषाएँ बोलते हों, अलग-अलग त्यौहार मनाते हों, लेकिन हमारी आत्मा एक है, भारतीयता की आत्मा। यही भावना हमें वैश्विक मंच पर अद्वितीय बनाती है।
आज, जब दुनिया अनेक संकटों से जूझ रही है, चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो, आर्थिक मंदी, या युद्ध की स्थितियाँ, भारत आशा की किरण बनकर उभर रहा है। हमारे पास वह दृष्टि है जो केवल अपने देश तक सीमित नहीं, बल्कि वसुधैव कुटुम्बकम् अर्थात् पूरी दुनिया को एक परिवार मानने की है। यही कारण है कि हम वैश्विक शांति, सहयोग और सतत विकास में अग्रणी भूमिका निभा सकते हैं।
आइए, इस स्वतंत्रता दिवस पर हम सब एक स्वर में यह संकल्प करें कि हम अपने देश, धरती, जल, वायु और संसाधनों की रक्षा करेंगे। हम भाईचारे और सौहार्द का वातावरण बनाएँगे। हम तकनीकी प्रगति और पारंपरिक ज्ञान, दोनों को साथ लेकर चलेंगे।
79वां स्वतंत्रता दिवस आत्ममंथन और संकल्प का दिन है। आइए हम सब गर्व के साथ अपने तिरंगे को सलाम करें, अपने वीरों को नमन करें, और एक ऐसे भारत के निर्माण की दिशा में आगे बढ़ें जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा, आशा और गर्व का स्रोत बने।
परमार्थ निकेतन गुरूकुल और परमार्थ विद्या मंदिर के छात्रों ने देशभक्ति से ओतप्रोत रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।