Sat. Aug 16th, 2025

*परमार्थ निकेतन में धूमधाम से मनायी श्री कृष्ण जन्माष्टमी*

*स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी ने अमेरिका की धरती से दिया श्रीकृष्ण जी के शाश्वत जीवन मूल्यों का संदेश*

*अमेरिका के लुइसविल, केंटकी में स्थित हिंदू टेम्पल ऑफ केंटकी में भारतीय मूल के प्रवासी समुदाय के साथ मनायी श्री कृष्ण जन्माष्टमी*

*हिंदू एकता, राष्ट्र जागरण और सनातन मूल्यों के संवर्धन हेतु सतत समर्पित, विश्व का सबसे बड़ा हिंदू संगठन विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के स्थापना दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं*

*भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि*

*भारत की आध्यात्मिक चेतना के प्रकाश पुंज स्वामी रामकृष्ण परमहंस जी की पुण्यतिथि पर उनकी दिव्य साधना को नमन*

ऋषिकेश/अमेरिका। परमार्थ निकेतन में बड़ी धूमधाम से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनायी। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने अमेरिका की धरती से देशवासियों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ दी। उन्होंने अमेरिका के लुइसविल, केंटकी में स्थित हिंदू टेम्पल ऑफ केंटकी में भारतीय मूल के प्रवासी समुदाय के साथ श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनायी।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने संदेश दिया कि भगवान श्रीकृष्ण केवल एक ऐतिहासिक या पौराणिक चरित्र नहीं, बल्कि सनातन जीवन मूल्यों के शाश्वत प्रतीक हैं, जिनकी शिक्षाएँ आज भी विश्व को मार्गदर्शन प्रदान कर रही हैं।

श्रीकृष्ण का जीवन, असीम प्रेम, धर्म की स्थापना और मानवता की रक्षा का अनुपम उदाहरण है। उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से अधर्म का अंत किया, गीताजी के अमर उपदेश से मानवता को कर्तव्य, भक्ति और ज्ञान का मार्ग दिखाया। स्वयं कारागार में जन्म लेकर भी समस्त मानवता को कंस रूपी दुबुद्धि से मुक्त कराया।

भगवान श्रीकृष्ण का दर्शन केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए है। उनका संदेश सर्वभूतहिते रतः सभी प्राणियों के कल्याण में रत रहना। हर जीव के सुख, सुरक्षा और सम्मान के लिए कार्य करना। यह दृष्टिकोण हमें सीमाओं, जातियों और मतभेदों से ऊपर उठकर वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को जीने का संदेश देता है।

उन्होंने कहा कि आज के समय में जब दुनिया में भौतिकता, अहंकार, हिंसा और स्वार्थ की प्रवृत्तियाँ बढ़ रही हैं, तब श्रीकृष्ण जी का संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है। गीता में उन्होंने जो कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग का समन्वित मार्ग बताया, वह हर युग, हर समाज और हर व्यक्ति के लिए कल्याणकारी है।

श्रीमद्भगवद्गीता का प्रत्येक श्लोक जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन देता है। श्रीकृष्ण जी ने अर्जुन को युद्धभूमि में यह शिक्षा दी कि परिस्थितियाँ कैसी भी हों, हमें अपने धर्म और कर्तव्य का पालन निडर होकर करना चाहिए, परन्तु फल की आसक्ति से मुक्त रहना चाहिए। यह शिक्षा न केवल महाभारत के समय की थी, बल्कि आज के तनावपूर्ण, प्रतिस्पर्धी और अनिश्चित समय में भी उतनी ही आवश्यक है।

स्वामी जी ने कहा कि आज समाज को कंस रूपी दुबुद्धि, लोभ, ईष्र्या, हिंसा और अनैतिकता से मुक्ति दिलाने के लिए हर व्यक्ति को अपने भीतर श्रीकृष्ण का स्वरूप जागृत करना होगा। जो प्रेम, करुणा, धैर्य, न्याय और धर्म का स्वरूप हो।

परमार्थ निकेतन में जन्माष्टमी का पर्व भक्ति और उल्लास के साथ मनाया गया। आश्रम में सुंदर झांकियाँ, कीर्तन, भजन संध्या और संगीत की मधुर ध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो उठा। श्रद्धालुओं ने बाल गोपाल के जन्म की प्रतीकात्मक झूला कर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का उल्लासपूर्ण स्वागत किया।

इस जन्माष्टमी के अवसर पर हमारे जीवन में श्रीकृष्ण का ऐसा स्वरूप उदय हो, जो अज्ञान का नाश कर प्रेम, करुणा और धर्म का मार्ग प्रशस्त करे। जब हर हृदय में प्रेम और हर कर्म में धर्म होगा, तब सच्चे अर्थों में श्रीकृष्ण जन्म का उत्सव होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *