देहरादून। खादी ग्रामोद्योग राज्य सरकार के तत्वावधान आयोजित सात दिवसीय राज्य स्तरीय प्रदर्शनी में देशभर के हस्तशिल्प कलाकारों के माध्यम से बनाये जा रहे उत्पादों को एक छत के नीचे एक बाजार उपलब्ध करा कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का सफल प्रयास किया जा रहा है।
खादी ग्रामोद्योग समय-समय पर ऐसी प्रदर्शनियों का आयोजन करता रहता है। जिसके माध्यम से महिलाओं, हस्तकलाकारों, खादी उद्योग से जुड़े लोगों को अपने उत्पादों को बेचने और ब्रांडिंग के लिए एक विशाल प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाता है। इसका एक उदाहरण उत्तराखंड की प्रतिष्ठित संस्था स्वामी विवेकानंद फाउंडेशन है। यह संस्था देहरादून जिले के दूरस्थ जनजातीय क्षेत्र के कंबुआ कालसी में महिलाओं को बांस व बबुल घास से बनी कई प्रकार के सजावट की सामग्री, घरेलू आवश्यकता के सामान जैसे बांस की टोकरी, हॉटकेस, फलों की टोकरी, फूलदान, बांस के परदे, बांस की दरी, हाथ से बने सांस्कृतिक चित्र, सांस्कृतिक फोटो फ्रेम जैसे अन्य उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण दे रही है।
संस्था कई अन्य सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों के साथ मिलकर इन उत्पादों को बेचने के लिए महिलाओं को प्लेटफार्म भी उपलब्ध करा रही है। खादी ग्रामोद्योग की इस विशाल प्रदर्शनी में नाबार्ड के सहयोग से इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह प्लेटफार्म मिला है जिसमे महिलाएं बढ़ चढ़कर प्रतिभाग कर रही हैं।
खादी प्रदर्शनी में रविवार की शाम धुमशु जनजाति एवं सामाजिक संस्था के द्वारा ग्रामोद्योग विकास योजना के अंतर्गत खादी मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें महासू महाराज की वंदना के बाद जौनसार भाबर का पारंपरिक तांदी नृत्यों की प्रस्तुति दर्शकों का मन मोह लिया। लोक गायक सुरेश वर्मा द्वारा एकल नान स्टॉप जौनसारी गीत और कृषि पर आधारित गीत श्चाल बोलो जाखधार की सेरीश्, लोक गायक अरविंद राणा ने मुंह से ढोल की आवाज की प्रस्तुति से दर्शक काफी उत्साहित हुए। जिसमें मुख्य कलाकार शांति वर्मा, अरविंद राणा, सुरेश वर्मा, निकेश, गजेंद्र, रमेश, कैलाश, रिंकू, तनु, दीक्षा, ममता आर्य आदि कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। रविवार की शाम जौनसारी और गढ़वाली गीतों की प्रस्तुति से बेहद मनमोहनक रही। कृषि आधारित जौनसारी गीत श्चाल बल जाखधार की सेरी पर दर्शक जम कर झूमे।
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