-कैप्टन श्री शुभांशु शुक्ला की सकुशल वापसी पर परमार्थ निकेतन में गूंजा भारत माता की जय का उद्घोष
ऋषिकेश। भारत के लिए यह क्षण गौरव का, विज्ञान के लिए यह एक युगांतकारी उपलब्धि और युवाशक्ति के लिए यह प्रेरणा की पराकाष्ठा है। भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री कैप्टन शुभांशु शुक्ला, जिनका 20 दिन का अंतरिक्ष अभियान भारत के लिये अत्यंत गौरव का विषय है और वे अब सकुशल पृथ्वी पर लौट आए हैं। ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के माध्यम से उन्होंने 23 घंटे का लंबा सफर तय कर कैलिफोर्निया के तट पर सुरक्षित लैंडिंग की।
परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश में इस ऐतिहासिक क्षण को एक विशेष आध्यात्मिक आयाम मिला, जब परमार्थ गंगा आरती कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सकुशल वापसी और इस मिशन की सफलता को समर्पित की गई। इस अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि यह केवल एक अंतरिक्ष यात्रा नहीं, बल्कि भारत के आत्मबल, वैज्ञानिक चेतना और युवाशक्ति का महोत्सव है। शुभांशु धरती पर उतरे हैं, पर भारत अंतरिक्ष में पहुंच गया है। आज का मिशन सिर्फ आसमान नहीं, विज्ञान और राष्ट्र के आत्मविश्वास को भी छू रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा जी ने ‘सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा’ कहकर करोड़ों भारतीयों का सीना गर्व से चैड़ा किया था, आज 2025 में कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने उस गौरवगाथा को एक नवीन अध्याय प्रदान किया है।
स्वामी जी ने कैप्टन शुभांशु शुक्ला को बधाई देते हुए कहा कि इस बार कैप्टन शुभांशु पायलट बनकर गए, अगली बार वह ‘कमांडेंट’ बनकर गगनयान में नेतृत्व करेंगे। यह मिशन सीमाओं को लांघने का नहीं, बल्कि अंतरिक्ष से संवाद करने और मानवता के हित में शोध करने का मिशन है। इस गगनचुंबी उपलब्धि में 18 दिन का अंतरिक्ष प्रवास, 1.3 करोड़ किलोमीटर का अंतरिक्ष सफर, 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग और शोध निहित है तथा यह भारत की ओर से युवा वैज्ञानिक प्रतिभा का सशक्त प्रतिनिधित्व करता है।
परमार्थ निकेतन की गंगा जी की आरती में श्रद्धालुओं ने सहभाग कर कैप्टन शुभांशु जी को शुभकामनाएँ, आशीर्वाद और भारत माता की जय के नारों से नमन किया। इस अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा आज भारत का युवा न केवल डिजिटल क्रांति में अग्रणी है, बल्कि अब अंतरिक्ष विज्ञान में भी दुनिया को दिशा दे रहा है। यह भारत के उज्ज्वल भविष्य की तस्वीर है।
स्वामी जी ने इस मिशन को युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि कैप्टन शुभांशु हर उस युवा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो सीमाओं के पार अपने सपनों को उड़ान देना चाहते हैं। अंतरिक्ष से धरती पर लौटना केवल भौतिक यात्रा नहीं, आत्मबल की अभिव्यक्ति है।
यह ऐतिहासिक यात्रा इस बात का संकेत है कि भारत अब ‘स्पेस टेक्नोलॉजी’ के क्षेत्र में आत्मनिर्भर और अग्रणी राष्ट्रों की पंक्ति में खड़ा हो चुका है। गंगा आरती में सभी ऋषिकुमारों ने सामूहिक रूप से प्रार्थना की कि यह मिशन न केवल सुरक्षित रहे, बल्कि मानवता के कल्याण में नवाचार और खोजों के नए द्वार खोले।
गंगा आरती के दौरान स्वामी जी ने कहा भारत की प्राचीन धरोहर, वैज्ञानिक दृष्टि और आध्यात्मिक ऊर्जा, सब कुछ एक साथ जब चलता है, तब ऐसे मिशन सफल होते हैं। शुभांशु जी को बारंबार शुभकामनाएं, आशीर्वाद और अभिनंदन किया। पूरा परमार्थ गंगा तट कैप्टन शुभांशु जिंदाबाद। भारत माता की जय। जय हिन्द। से गंूज उठा।