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*💥धराली (उत्तरकाशी) आपदा पीड़ितों के लिए परमार्थ निकेतन में विशेष प्रार्थना और यज्ञ*

*✨स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से धराली पीड़ियों के लिये भेजी गयी राहत सामग्री, फल और सब्जियां*

*🌺आज धराली का हाल भले ही बदहाल हो, लेकिन वहां की मिट्टी में उम्मीद और हौसले के बीज अब भी जीवित हैं*

*💥धराली गांव के पुनर्निर्माण, स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ्य सेवाओं, बच्चों की शिक्षा, और जीविकोपार्जन के साधनों को पुनः स्थापित करने के लिए दीर्घकालिक परियोजनाओं की अत्यंत आवश्यकता*

ऋषिकेश, 9 अगस्त। पाँच अगस्त को आई भयंकर आपदा ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद के धराली गांव की पूरी तस्वीर बदल दी। यह वही धराली है जो कभी कल-कल बहती पावन भागीरथी, नीले आकाश, ऊँचे हिमालयी पर्वत, देवदार के गगनचुंबी वृक्षों और सुंदर वादियों से सुसज्जित था। मानो प्रकृति ने अपने हाथों से इस गाँव का श्रृंगार किया हो किंतु, इस बार उसी प्रकृति ने एक विनाशकारी रूप में यहां के लोगों से उनका सब कुछ छीन लिया।

धराली का वर्तमान दृश्य किसी गहरे घाव जैसा है, टूटी-फूटी सड़कें, मलबे में दबे घर, बह चुकी फसलें, और उजड़ चुके बाग-बगीचे। गाँव का हर चेहरा दर्द और हताशा की कहानी कह रहा है। यह दृश्य 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद के रामबाड़ा की याद दिलाता है, जो तब से देश के मानचित्र से ही गायब हो गया।

इस त्रासदी ने न केवल लोगों के घर और रोजगार छीन लिए, बल्कि उनकी आर्थिक नींव को भी हिला दिया। प्राकृतिक आपदाएं केवल शारीरिक और मानसिक पीड़ा ही नहीं देतीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी तहस-नहस कर देती हैं। धराली के लोग अपने खेत-खलिहान, दुकानें, व्यवसाय और वर्षों की मेहनत से बनाए घर एक पल में खो बैठे।

ऐसे कठिन समय में, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष, स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने विदेश की धरती से धराली पीड़ितों की सहायता हेतु राहत और सहयोग प्रदान करते का आह्वान किया। आपदा चाहे कितनी भी भयंकर क्यों न हो, आशा और सेवा की रोशनी उससे बड़ी होती है। धराली के हमारे भाई-बहनों को यह संदेश देना है कि वे अकेले नहीं हैं पूरा देश, पूरी मानवता उनके साथ खड़ी है।

स्वामी जी के आशीर्वाद और मार्गदर्शन में, परमार्थ निकेतन की सेवा टीम ने धराली और आसपास के आपदा प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री भेजी। इसमें एक हजार किलो से अधिक ताजी सब्जियां, राशन सामग्री, बच्चों और महिलाओं के कपड़े, रेनकोट, दूध पाउडर, चप्पलें, छाते, मोमबत्ती माचिस, बरसाती, मेडिकल किट और अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल थीं, जिन्हें स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवकों के सहयोग से पीड़ित परिवारों तक पहुंचाया गया।

स्वामी जी ने कहा कि सेवा केवल राहत सामग्री पहुंचाने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह पीड़ितों के मनोबल को भी मजबूत करे। राहत दल ने राहत सामग्री वितरित कीं और पीड़ित परिवारों से संवाद भी किया, उनका दर्द सुना, और उन्हें भरोसा दिलाया कि पुनर्निर्माण की राह पर हर कदम पर उनके साथ खड़े रहेंगे।

स्वामी जी ने विशेष रूप से आह्वान किया की कि देश-विदेश से लोग आगे आएं और आर्थिक, सामग्री एवं मानसिक सहयोग प्रदान करें। उन्होंने कहा हमारा उत्तराखंड केवल भौगोलिक स्थान नहीं है, यह हमारी संस्कृति, आस्था और आध्यात्म का केंद्र है। इसे पुनः संवारना हम सबका कर्तव्य है।

धराली के लोग आज भी मलबे के बीच उम्मीद की किरण देख रहे हैं। उनका विश्वास है कि जैसे प्रकृति ने कभी उनके गाँव को सजाया था, वैसे ही एक दिन यह गाँव फिर से बस जाएगा। माँ गंगा की कृपा और जनमानस के सहयोग से धराली का हर आंगन फिर से हंसी-खुशी से गूंजे। आज धराली का हाल भले ही बदहाल हो, लेकिन वहां की मिट्टी में उम्मीद और हौसले के बीज अब भी जीवित हैं।

आने वाले समय में गांव के पुनर्निर्माण, स्वच्छ पेयजल, स्वास्थ्य सेवाओं, बच्चों की शिक्षा, और जीविकोपार्जन के साधनों को पुनः स्थापित करने के लिए दीर्घकालिक परियोजनाओं की अत्यंत आवश्यकता है ताकि कल को यह गाँव फिर से अपनी सुंदरता, समृद्धि और सांस्कृतिक पहचान के साथ खड़ा हो सके।

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