*तिरंगे के जनक श्री पिंगली वेंकय्या जी की जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि*
*परमार्थ निकेतन गंगा जी की आरती श्री पिंगली वेंकय्या जी को की समर्पित*
*हमारा तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, यह भारत माता की आत्मा का प्रतीक*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश। आज भारतवर्ष पिंगली वेंकय्या जी की 147वीं जयंती मना रहा है। वह महान व्यक्तित्व जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय ध्वज ‘तिरंगे’ की परिकल्पना कर देश को एक ऐसी पहचान दी, जो आज हमारी अस्मिता, आत्मसम्मान और अखंडता का प्रतीक है। उनका जीवन राष्ट्रसेवा, विज्ञान, और मातृभूमि के प्रति अद्वितीय समर्पण की प्रेरक गाथा है।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि वेंकय्या जी एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे। स्वदेशी आंदोलन से प्रेरित होकर उन्होंने न केवल विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया, बल्कि कपास की कृषि में शोध कार्य भी प्रारंभ किया। उन्होंने अमेरिका से कंबोडियन कपास के बीज मंगवाकर भारतीय कपास के साथ क्रॉस-ब्रीडिंग की और एक नई हाइब्रिड कपास की किस्म विकसित की, जिसे वेंकय्या कपास के नाम से जाना गया।
वेंकय्या जी का सबसे महान योगदान भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना और निर्माण है। स्वतंत्रता संग्राम के समय, एक राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता महसूस की जा रही थी जो देशवासियों को एक सूत्र में बाँध सके। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने जिस ध्वज को भारत का राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया, उसका मूल आधार पिंगली वेंकय्या जी का ही डिजाइन था।
स्वामी जी ने कहा कि आज जो तिरंगा हम गर्व से फहराते हैं, वह न केवल हमारी संप्रभुता का प्रतीक है, बल्कि उसमें वेंकय्या जी के तप, परिश्रम और देशभक्ति की जीवंत भावना समाहित है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हमारा तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, यह भारत माता की आत्मा का प्रतीक है। इसका प्रत्येक रंग और चिह्न हमारे जीवन मूल्यों और राष्ट्रीय आदर्शों का सजीव चित्रण है। केसरिया रंग वीरता, त्याग और बलिदान की भावना को दर्शाता हैय सफेद रंग शांति, सत्य और समरसता का प्रतीक हैय हरा रंग जीवन, समृद्धि और उन्नति की प्रेरणा देता है और मध्य में स्थित अशोक चक्र 24 तीलियों वाला यह चक्र सतत् कर्म और धर्म के पथ पर आगे बढ़ने का संदेश देता है।
युवाओं के लिए तिरंगा केवल एक ध्वज नहीं, बल्कि एक आह्वान है देश के लिए जीने, सीखने, संघर्ष करने और कुछ कर दिखाने का। यह हमें याद दिलाता है कि हम उस भूमि के वासी हैं, जहाँ भगत सिंह ने हँसते-हँसते फाँसी को गले लगाया, जहाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा कहा।
आज जब भी तिरंगा लहराता है, हर युवा का हृदय गर्व से भर उठता है। आइए, तिरंगे को केवल हाथों में नहीं, दिलों में उठाएँ और अपने कर्म, चरित्र और संकल्प से भारत को विश्वगुरु बनाएं।
आज, जब हम हर घर तिरंगा जैसे अभियानों के माध्यम से तिरंगे को आमजन से जोड़ते हैं, तब यह आवश्यक है कि हम बच्चों और युवाओं को बताएं कि इस तिरंगे की प्रेरणा और परिकल्पना किस महापुरुष की देन है। पिंगली वेंकय्या जी केवल झंडे के निर्माता नहीं, बल्कि भारत की आत्मा के चितेरे थे। उन्होंने हमें वह प्रतीक दिया जिसने देश को स्वतंत्रता की राह पर एकजुट किया और आज भी हम सबको एक सूत्र में बाँधता है।
उनकी जयंती पर भारत उन्हें शत-शत नमन करता है। आइए, इस अवसर पर संकल्प लें कि हम तिरंगे के गौरव को न केवल अपने हाथों में बल्कि अपने हृदय में भी धारण करें, और वेंकय्या जी जैसे राष्ट्रसेवकों के जीवन से प्रेरणा लेते हुए देश की सेवा में तत्पर रहें।