हरिद्वार। जगजीतपुर क्षेत्र स्थित राजा गार्डन में ओलिविया स्कूल से आगे मौजूद झोड़/तालाब क्षेत्र में अवैध कॉलोनी काटे जाने का गंभीर मामला फिर सामने आया है। यह पूरा क्षेत्र मूल रूप से मछली पालन और जल संरक्षण के लिए आरक्षित है, जहाँ निर्माण गतिविधियाँ पूर्णतः प्रतिबंधित हैं। इसके बावजूद भू–माफियाओं द्वारा तालाब/झोड़ के रास्ते को बाधित करते हुए अवैध प्लॉटिंग की जा रही है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि तालाबों और झोड़ों के आसपास किसी भी तरह का आवासीय निर्माण न केवल पर्यावरणीय नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मछली पालन कार्य पर सीधा खतरा भी पैदा करता है। सरकारी मानकों के अनुसार जल-निकायों के आसपास निर्माण करना पूर्ण रूप से अवैध है। सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों ने कई बार अपने आदेशों में यह स्पष्ट किया है कि तालाबों की प्रकृति में बदलाव, उन पर कब्ज़ा या निर्माण किसी भी परिस्थिति में स्वीकार्य नहीं है।
तीन बार नक्शे निरस्त, फिर भी जारी अवैध प्लॉटिंग
चौंकाने वाली बात यह है कि भू–माफियाओं द्वारा प्राधिकरण में कॉलोनी निर्माण के लिए नक्शे तीन बार जमा कराए गए, लेकिन प्राधिकरण ने हर बार इन्हें खारिज कर दिया, क्योंकि संबंधित भूमि “ग्रीन लैंड” के रूप में दर्ज है और उसका लैंड यूज़ किसी भी कीमत पर बदला नहीं जा सकता। इसके बावजूद क्षेत्र में अवैध प्लॉटिंग बड़े स्तर पर जारी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्राधिकरण द्वारा नक्शे निरस्त किए जाने के बाद भी ज़मीनी स्तर पर अवैध निर्माण रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे भू–माफियाओं के हौसले और बढ़ गए हैं।
नियमों, न्यायालय के आदेशों और प्राधिकरण की आपत्तियों के बावजूद अवैध निर्माण जारी रहना प्रशासन की कार्यवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह जल-निकाय नष्ट हो जाएगा और पूरे क्षेत्र का पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ सकता है।
स्थानीय नागरिकों ने जिलाधिकारी से तत्काल हस्तक्षेप कर अवैध कॉलोनी पर रोक लगाने और तालाब क्षेत्र को उसकी मूल अवस्था में बहाल करने की मांग की है क्योंकि हरिद्वार रुड़की विकास प्राधिकरण द्वारा नक्शे निरस्त करने के बाद धड़ल्ले से अवैध प्लॉटिंग का कार्य विकास प्राधिकरण को भी सवालों के घेरे में खड़ा करता है। पहले भी ऐसी ही गतिविधियों के लिए प्राधिकरण विवादों में रहा है।
