Thu. Oct 30th, 2025

गुरु की शरण और जीवन में अर्जित किया गया ज्ञान मनुष्य जीवन की सबसे बड़ी निधि: श्री महंत आचार्य प्रमोद महाराज

हरिद्वार। भूपतवाला स्थित स्वामी भागवतानंन्द गिरि सत्संग आश्रम सात सरवर रोड भूपतवाला हरिद्वार में परम पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी ओंकारानंद गिरी जी महाराज की तृतीय पावन पुण्यतिथि के अवसर पर एक विशाल संत समागम आश्रम में आयोजित किया गया कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जूना अखाड़े के पूर्व सचिव श्री महंत देवानंद सरस्वती महाराज ने कहा धर्म-कर्म और ज्ञान मनुष्य जीवन की सबसे निधि है ज्ञान मनुष्य के जीवन को सार्थक करने के साथ-साथ बुलंदियों पर ले जाता है और धर्म-कर्म उसके मानव जीवन को सार्थक कर दें के साथ-साथ लोक एवं परलोक दोनों सुधार देते हैं स्वामी भागवतानंद गिरि सत्संग आश्रम के महंत प्रातः स्मरणीय देश के प्रख्यात कथा वाचक आचार्य प्रमोद जी महाराज ने कहा ज्ञान और गुरु की शरण मनुष्य जीवन की सार्थकता है अगर आप जीवन में धन अर्जित करते हैं तो उसे कोई छीन सकता है बांट सकता है किंतु जीवन में अर्जित किये गये ज्ञान को ना तो कोई बांट सकता है और ना कोई छीन सकता है वह आपके जीवन की सबसे बड़ी अमूल्य निधि है परम पूज्य ब्रह्मलीन गुरुदेव महामंडलेश्वर स्वामी ओंकारानंद गिरी इस पृथ्वी लोक पर सनातन की गंगा बहाने वाले भक्तों को कल्याण का मार्ग दिखाने वाले परम तपस्वी त्याग मूर्ति संत थे हम उनकी तृतीय पवन पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन करते हैं इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत आचार्य प्रमोद जी महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा की महिमा का गुणगान करते हुए कहा श्रीमद् भागवत महापुराण कथा जीवन कल्याण सुधारस है श्रीमद् भागवत कथा केवल एक धार्मिक ग्रंथ की कथा नहीं है, यह जीवन जीने की एक कला है। जब संसार में अधर्म, लोभ और अज्ञान बढ़ता है, तब यह कथा एक दीपक की तरह मार्ग दिखाती है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल से लेकर उनके उपदेशों तक, हर प्रसंग में मनुष्य को आत्मशुद्धि और भक्ति का मार्ग मिलता है।
भागवत कथा का मुख्य उद्देश्य है – “भक्ति, ज्ञान और वैराग्य” को जगाना। इसमें बताया गया है कि जब मनुष्य का हृदय ईश्वर प्रेम से भर जाता है, तब संसार के दुःख उसे डिगा नहीं सकते। कथा के माध्यम से यह समझ आता है कि जीवन में हर घटना किसी न किसी शिक्षा का संदेश लेकर आती है।
एक बार एक व्यक्ति भागवत कथा सुनने गया। वह पहले दिन ही ऊब गया और सोचने लगा – “कहानी तो बहुत पुरानी है, इसमें क्या नया है?” फिर भी वह रोज़ जाता रहा। सातवें दिन, कथा के अंत में उसने अनुभव किया कि उसका मन बहुत हल्का हो गया है। उसने कथावाचक से कहा, “मुझे समझ नहीं आया कि कथा ने क्या बदल दिया, पर अब मैं भीतर से शांत हूँ।”
कथावाचक मुस्कराए और बोले – “बेटा, जैसे मिट्टी के पात्र में गंदा पानी डालते रहो और रोज़ स्वच्छ जल भरते रहो, तो एक दिन गंदगी अपने आप निकल जाती है। वैसे ही कथा सुनते-सुनते मन की मैल धुल जाती है।”
यह दृष्टांत बताता है कि कथा केवल ज्ञान नहीं देती, मन को निर्मल करती है
जीवन पर प्रभाव
श्रीमद् भागवत कथा हमें सिखाती है कि—कृष्ण की बाल लीलाएँ सरलता और निष्कपटता का प्रतीक हैं।
प्रह्लाद की भक्ति हमें विपरीत परिस्थितियों में भी विश्वास बनाए रखने का संदेश देती है।
अजामिल की मुक्ति दर्शाती है कि ईश्वर का नाम एक बार भी सच्चे भाव से लिया जाए, तो जीवन सुधर सकता है।
इन कथाओं में कहीं न कहीं हर व्यक्ति अपना प्रतिबिंब देख सकता है—कभी अर्जुन की तरह भ्रमित, कभी राधा की तरह समर्पित, तो कभी प्रह्लाद की तरह अडिग |
श्रीमद् भागवत कथा सुनना केवल धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि आत्मा को जागृत करने की प्रक्रिया है। यह कथा हमें बताती है कि भक्ति ही सबसे बड़ा विज्ञान है—जहाँ तर्क नहीं, अनुभव बोलता है।
जैसे मधुमक्खी फूलों में से केवल रस लेती है, वैसे ही भागवत कथा हमें सिखाती है कि संसार में रहकर भी शुद्धता बनाए रखी जा सकती है। इस अवसर पर बोलते हुए महामंडलेश्वर 1008 श्री राम मुनि जी महाराज ने कहा भगवान राम का नाम मनुष्य जीवन को सफल कर देता है राम ही सूरत राम ही मूरत और राम करें उध्दार रे जीते भी राम मरते भी राम राम की महिमा अपरंपार राम नाम की महिमा बड़ी ही सुंदर एवम अपरंपार है जो राम नाम का रसपान कर लेता है उसके भाग्य का उदय हो जाता है उसका मानव जीवन सार्थक हो जाता है इस अवसर पर बोलते हुए स्वामी कृष्ण देव जी महाराज ने कहा जो भक्त गुरु की शरणागत हो जाते हैं गुरु उन्हें धर्म कर्म पूजा पाठ यज्ञ अनुष्ठान के माध्यम से भवसागर पार करा देते हैं इस अवसर पर श्री गंगा भक्ति आश्रम के श्री महंत कमलेशानन्द सरस्वती ने कहा पावन नगरी हरिद्वार की पावन धरती से होने वाला शंखनाद संपूर्ण सृष्टि में सनातन के रूप में गूंजता है मठ मंदिर अखाड़े सनातन का वह मंदिर है जहां कदम कदम पर धर्म तथा सनातन की गाथायें गाई जाती हैं और संत महापुरुषों के श्री मुख से निकलने वाले पावन वचन भक्तों के जीवन का उद्धार कर देते हैं उनके मानव जीवन को सही दिशा प्रदान कर देते हैं इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कलयुग में मनुष्य को कठोर तपस्या करने की आवश्यकता नहीं वह सच्ची आस्था और सच्चे मन से अगर भगवान राम का कुछ पल सिमरन कर लेता है सत्संग कर लेता है तो उसका यह मानव जीवन सार्थक हो जाता है भगवान राम के नाम की महिमा बड़ी ही अपरंपार है अगर आप अपनी रोज की आपसी मेल मिलाप में राम राम करते हैं तो वह भी एक भजन है नमस्कार प्रणाम के स्थान पर राम राम जी जय श्री राम जी कहे अगर आप दिन में 50 लोगों संपर्क में आते हैं तो आपकी राम नाम की माला पूरी हो जाती है क्योंकि एक बार आप कहेंगे राम-राम जी दूसरी बार जिसे कहेंगे वह कहेगा राम राम जी तो आपकी राम नाम की माला दोनों को मिलकर पूरी हो जाती है और यही राम का भजन है और यही राम नाम की महिमा आपके जीवन की सार्थकता की और ले जाती है इस अवसर पर बोलते हुए महंत रवि देव महाराज ने कहा भजन सत्संग सत्य का वह मार्ग है जो मनुष्य जीवन को सार्थकता प्रदान करता है और यह मार्ग हमें गुरुजनों के श्री चरणों से प्राप्त होता है इस अवसर पर महंत देवानंद सरस्वती महाराज महंत सूरज दास महाराज स्वामी अरुण दास महाराज साध्वी तृप्ता महाराज साध्वी राधागिरी महाराज महामंडलेश्वर राम मुनि महाराज स्वामी कृष्ण देव महाराज महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज महंत कमलेशानंद सरस्वती महाराज महंत कमलेश्वरानंद महाराज महंत प्रेमानंद महाराज महंत कैलाशानंद महाराज महंत भरत मुनि महाराज महंत गोविंद दास महाराज महंत कृष्ण स्वरूप महाराज महंत रघुवीर दास महाराज महंत बिहारी शरण महाराज स्वामी अंकित शरण महाराज ठाकुर मनोजानंद महंत शांति प्रकाश महाराज कोतवाल देहरादून बाबा रमेशानंद कोतवाल कमल मुनि महाराज श्याम गिरी महाराज सहित भारी संख्या में संत महापुरुष तथा भक्तजन उपस्थित थे

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *