*अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस, प्रकृति के साथ मित्रता का उत्सव*
*दिलों, संस्कृतियों और सीमाओं को जोड़ता एक अद्भुत अवसर*
*मित्रता हमें उम्र, जाति, धर्म, लिंग, लैंगिक पहचान व सीमाओं से परे हमें जोड़ती है*
*मित्रता, एक एहसास, एक संकल्प*
*स्वामी चिदानन्द सरस्वती*
ऋषिकेश। अन्तर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मित्रता, एक ऐसे रिश्ते का उत्सव है, जो दिल से दिल, संस्कृति से संस्कृति और मानवता से मानवता को जोड़ती है। फ्रेंडशिप डे एक एहसास है, अपनेपन, विश्वास और साथ निभाने का। यह उन रिश्तों को सलाम करने का दिन है, जो हर परिस्थिति में हमारे साथ खड़े रहते हैं वह भी बिना किसी स्वार्थ, बिना किसी अपेक्षा के हमारा साथ निभाते है। यह दिन उन सच्चे मित्रों को धन्यवाद देने का अवसर है, जो जीवन की कठिन राहों में हमारे लिए दीपक की तरह मार्गदर्शन करते हैं।
साथ ही, यह दिन सच्चाई, सहयोग और सद्भाव का एक संकल्प भी है। मित्रता वह सेतु है जो संघर्षों में भी साथ खड़ी रहती है, और सफलता में भी विनम्र बनाए रखती है।
स्वामी जी ने कहा कि मित्रता, दिलों से आगे, सीमाओं के पार का एक अद्भुत रिश्ता है। यह देशों, संस्कृतियों और नस्लों के बीच भी एकता और समरसता लाने का एक माध्यम है। वैश्विक स्तर पर स्थायी शांति, आपसी सहयोग और विकास की नींव मित्रता पर ही टिकी है।
मित्रता केवल एक व्यक्तिगत संबंध नहीं, बल्कि यह विश्व बंधुत्व का आधार है। यह सनातन संस्कृति में विश्व बंधुत्व का मूल स्तंभ रही है। हमारे ग्रंथों, उपनिषदों और महापुरुषों ने मित्रता को आत्मा के स्तर पर संबंध मानकर उसे दिव्यता प्रदान की है। प्रभु श्रीराम और सुग्रीव, श्री कृष्ण और सुदामा, अर्जुन और श्रीकृष्ण इन सभी पवित्र रिश्तों में मित्रता केवल सहयोग नहीं, बल्कि धर्म, कर्तव्य और आत्मीयता की मिसाल बनी।
यह हमें सिखाती है कि संवाद, सहानुभूति और साझेदारी से ही हम एक शांतिपूर्ण और प्रगतिशील समाज बना सकते हैं।
आज के समय में जब दुनिया अनेक सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक मतभेदों से जूझ रही है, फ्रेंडशिप डे का संदेश और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह हमें याद दिलाती है कि हम सभी एक समान भावना, संवेदना और मानवता के अंग हैं। जहां दुनिया में असमानता और विघटन की लहरें उठ रही हैं, वहीं मित्रता का संदेश करुणा, सह-अस्तित्व और मानवीय मूल्यों की लौ जलाए रखता है।
स्वामी जी ने कहा कि जात-पात, भाषा, क्षेत्रवाद, लिंग भेद या मतभेदों को पीछे छोड़कर एक ऐसा वातावरण बनाएं जहाँ हर व्यक्ति अपनेपन और सम्मान के साथ जी सके। हमें दुनिया को बदलने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत नहीं बल्कि आपसी संवाद बनाये रखना ही काफी है।
आइए, इस मित्रता दिवस पर हम सभी मिलकर संकल्प लें कि हम न केवल अच्छे मित्र बनेंगे, बल्कि मित्रता के माध्यम से इस विश्व को एक परिवार के रूप में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ स्वीकार करेंगे।
आज जब दुनिया अनेक भौतिक उपलब्धियों की होड़ में है, तब हमें प्रकृति से जुड़ने की आवश्यकता है। पौधारोपण करें, जलस्रोतों की रक्षा करें, जैवविविधता को सम्मान दें, यही सच्ची मित्रता है। अंतर्राष्ट्रीय मित्रता दिवस पर हमें संकल्प लेना होगा कि हम न केवल एक-दूसरे के सच्चे मित्र बनेंगे, बल्कि इस सृष्टि के प्रत्येक तत्व के साथ भी प्रेमपूर्वक, सहयोगपूर्ण और संरक्षणकारी संबंध बनाएंगे।